*”ममता”* पार्ट-1
बैंक मैनेजर राजेश का स्थानान्तरण शहर से उनके पैत्रिक गाँव में हो गया। गाँव के माहौल को देखते हुए उसकी पत्नी सरिता ने एक गाय पालने की इच्छा व्यक्त की. मगर उसे गाय दुहना नहीं आता था. इसलिए उसने अपने पडौसी, जो रिश्ते में उनके दादीजी लगती थी उनसे चर्चा की तो उन्होंने बहू सरिता को गाय दुहना सिखाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए अगले दिन शाम को 5 बजे आने का कहा. सरिता और राजेश दोनों को ही काफी ख़ुशी हुई, और दोनों के बच्चे भी खुश नजर आ रहे थे.
अगले दिन शाम को जब सरिता दादीजी के घर गाय दुहने के लिए गई तो उसे अपने जीवन की एक नई शुरुआत समझते हुए अच्छे से तैयार होकर गई. दादीजी ने भी उसकी भावना की प्रशंसा की. उन्होंने उसे एक बाल्टी देते हुए कहा कि तुम चलो मै आती हूँ. सरिता जैसे ही गौशाला के पास पहुंची, शांत खड़ी गाय अचानक बैचेन होकर रंभाने लगी. दादीजी ने आते आते सोचा शायद नई बहू को देख कर असहज महसूस कर रही होगी. उन्होंने आगे बढ़कर गाय दुहने की प्रक्रिया शुरू की और सरिता से कहा देखो कैसे दुहा जाता है. सरिता ने गाय के पास आकर सीखने का प्रयास किया. गाय भी अब शांत खड़ी थी. गाय ने आज और दिनों से ज्यादा दूध दिया था. दादीजी को भी आश्चर्य हुआ. उन्होंने सरिता से कहा बहू थोडा दूध तुम भी ले जाओ बच्चों के लिए. गाय की हरकतों से ऐसा लग रहा था कि वो बहू को अपने पास और खड़ी रखना चाहती है मगर उसकी ये हरकत दोनों के ही समझ में नहीं आ रही थी. घर में और भी काम थे, इसलिए दोनों गौशाला से चली आई.
अगले दिन सुबह जब दादीजी गाय दुहने गए तो उन्हें ऐसा लगा की मानो गाय उनका इन्तजार कर रही हो. आज भी गाय ने अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा दूध दिया. उन्हें आश्चर्य तो हुआ मगर उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया ओर सोचा शायद मौसम या चारे की वजह से दूध बढ़ गया होगा. शाम को जब सरिता दादीजी के घर गई तो उन्होंने फिर से उसे बाल्टी थमाते हुए कहा तुम चलो मैं आती हूँ, सरिता बाल्टी लेकर गौशाला की तरफ बढती है, गाय ने उसे देख कर सर हिलाया मानो उसका स्वागत कर रही हो मगर आज वो शांत ही खड़ी रही. सरिता ने गाय के थनों के निचे बाल्टी रखी और दुहने के लिए जैसे ही थनों को हाथ लगाया दूध अपने आप निकलने लगा. सरिता को कुछ समझ में नहीं आ रहा था. वो स्तब्ध हो गई थी. जब तक दादीजी आते तब तक तो बाल्टी दूध से भर गई थी. सरिता उसे लेकर गौशाला से निकली तो सामने दादीजी मिले उन्होंने दूध से भरी बाल्टी को देखा तो सोच में पड़ गए, वे कुछ बोली नहीं सरिता को एक लोटा दूध देकर विदा किया. क्रमशः…