ममता का यह कैसा परिवर्तन
माँ! बताओ कैसै मैं,
अपनी किस्मत पर इतराऊँ।
कृष्ण की तरह मेरी भी दो माँ है ,
कैसे दुनियाँ को चीख-चीखकर बतलाऊँ।
जब तुमने अपने फैशन के कारण,
मुझे अपने कोख में नही रखा था।
हो नही तेरे शरीर मे कोई परिवर्तन ,
इसीलिए तुमने ममता में परिवर्तन कर दिया था
खरीदकर पैसे से कोख तुमने माँ ,
मुझे किराए पर चढा दिया ।
मुझको भी माँ तुमने व्यापार का हिस्सा बना दिया।
एक माँ ने पैसे से कोख खरीद लिया।
दूसरी माँ ने पैसे की खातिर कोख को बेच दिया।
यह माँ के रूप का कैसा परिवर्तन मैने देखा।
माँ को होते हुए मैने माँ का रूप नही देखा।
मैने माँ का रूप लिए एक व्यापारी को देखा।
एक मुझे खरीद रहा था, दूजा बेच रहा था ।
फिर कैसे उस व्यापारी में,मैं माँ का रूप देखूँ।
कैसे उसे माँ कहकर मैं,माँ की छवि धूमिल कर दूं।
कैसे मैं कहूँ दुनियां को,मेरी भी दो माँ है।
यशोदा और देवकी जैसी, जिसकी निर्मल काया है।
कैसे मैं कहूँ मुझ पर भी ,ममता की छाया है।
कैसे मैं कहूँ माँ की ममता में ,आज भी ईश्वर की काया है।
कैसे मैं कहूँ मेरे सर पर भी, माँ की आँचल का साया है।
कैसे मै कहूं मैने भी धरती पर माँ को पाया है।
अनामिका