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31 Jan 2022 · 1 min read

“ममता” (तीन कुण्डलिया छन्द)

(१.) माँ की वो ममता रही

माँ की वो ममता रही, और पिता का प्यार
दोनों से मिलता रहा, हरदम प्यार-दुलार
हरदम प्यार-दुलार, बहन-भाई संस्कारी
इक-दूजे के प्राण, सभी हैं आज्ञाकारी
महावीर कविराय, नहीं है चिन्ता जां की
सदा हमारे साथ, रही है ममता माँ की
•••

(२.) ममता ने संसार को

ममता ने संसार को, दिया प्रेम का रूप
माँ के आँचल में खिली, सदा नेह की धूप
सदा नेह की धूप, प्यार का ढंग निराला
भूखी रहती और, बाँटती सदा निवाला
महावीर कविराय, दिया जब दुःख दुनिया ने
सिर पर हाथ सदैव, रखा माँ की ममता ने
•••

(३.) मात-पिता को मानिये

मात-पिता को मानिये, रब का ही अवतार
मोल न कोई कर सके, इतने हैं उपकार
इतने हैं उपकार, चुकेगा ये ऋण कैसे
मोल चुकेगा ये न, कमा लो कितने पैसे
महावीर कविराय, पूज चाहे गीता को
रामायण या वेद, मान ले मात-पिता को
•••

3 Likes · 1 Comment · 417 Views
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