ममता की पुकार,,,,,,,
बेटा दर्शन बतादो,
तेरी मां पुकार रही है।
सूनी गोद पड़ी कब से,
तेरी मां तडप रही है।
खाना , धेला ना लाना,
तेरी मां कह रही है।
नाती नातिन को ले आना,
सूनी कलाई रो रही है।
तुझ को प्यार परोसने,
मेरी अखियां ढूंढ रही है।
बालापन में तुझे गोद खिलाया,
खुद पानी पीकर , तुझे दूध पिलाया।
लालन-पालन में समय बिताया,
पालन पोषण कर तरु बनाया।
तेरे भविष्य की चिंता है मुझे,
बाल बच्चों को सिखा दे।
मात पिता की सेवा करना।
वह दिन दूर नहीं,
हम जैसे तू भी बच्चों की राह देखेगा।
ले जा बेटा अंतिम बार आशीष
मेरी अंतरात्मा पुकार रही है।
वृद्ध आश्रम सीधे आना,
चाहे तो लाणी को साथ लेआना।
नारायण अहिरवार
अंशु कवि
सेमरी हरचंद होशंगाबाद
मध्य प्रदेश