ममता की छाँव
ममता की छाँव
**************
ममता की छाँव को महसूस कीजिये
भूलकर भी कभी न अपमान कीजिये,
सौभाग्य है ये आपका जो मिल रहा जीवन में इतना जो छाँव मिल रहा है।
निरादर करके न अपमान कभी करना
जो हैं इससे वंचित उनसे कभी पूछना,
ममता की छाया पाकर मत इतराना
ममता के आँचल में खुद को छुपाये रखना।
किया नहीं जो इज्जत बहुत पछताओगे
एकबार जो खोया दोबारा नहीं पाओगे,
बाजार में ममता की नहीं है कोई दुकान
जो खरीद कर ममता लेकर आ जाओगे।
इसकी शीतल छाया का आनंद उठाओ
घमंड में कभी भूलकर भी न इतराओ,
हर पल हर क्षण ममता की छावों का
ममता की गरिमा का मान बढ़ाते जाओ।
✍ सुधीर श्रीवास्तव