“ममता ओर मर्यादा माता”
!!ममता ओर मर्यादा माता!!
ममता ओर मर्यादा माता,
जीत जीवन सादा माता।
दीपक जैसे जलकर के,
हर लेती हर बाधा माता।।
ममता ओर मर्यादा माता…..……………………………(१)
उठ प्रभाती सबसे पहले,
तम को दूर भगाती माता।
प्रातःकाल में बढ़े प्यार से,
सबको आन जगाती माता।।
घर गुवाड़ी बाखल सबको,
सोने सा चमकाती माता।
शुभ दिन की शुरुआत करे,
स्व प्रभाती गाती माता।।
घर का जीवन पूर्ण बना के,
स्व जीती है आधा माता।
ममता ओर मर्यादा माता…..……………………………(२)
त्याग तपस्या तरुणाई ओर,
प्रेम भरी एक गागर माता।
परजीवों को जीवन दे वो,
अथाह दया का सागर माता।।
संस्कारों की बनकर शाला,
सीख सीखाती सादर माता।
पर अपने अरमान ही जाने,
करते क्यों नही आदर माता।।
कुंवर कुटुम्ब को पोषित कर के,
ना करती कोई तगादा माता।
ममता ओर मर्यादा माता…..……………………………(३)
क्रमशः
©®
कुं नरपतसिंह पिपराली(कुं नादान)