ममतामयी मां
ममतामयी मां
भोली सी सूरत ,
ममता की मूरत हो मां
जिगर का टुकड़ा
निश्छल मुस्कान हो मां
सीख की पहली पाठशाला
ज्ञान की वर्णमाला हो मां।
मेरी रक्षा के खातिर
सुरक्षा कवच हो मां।
दुर्गम को सुगम
कठीन को सरल
करने वाली हो मां
पल पल दुलार करने वाली दुलौरीन हो मां।
परिवार को संजो के रखे,
दया,करुणा,कृपा ,बुद्धि के
वाईफाई नेटवर्क हो मां।
हर सांस में आस में हो
विश्वाश में निरंतर हो मां
ममत्व वात्सल्य का मिस्री
मेरी ममतामयी मां हो मां।
संतोष कुमार मिरी
शिक्षक जिला दुर्ग
7987121484