मन
घानाक्षरी
शीर्षक – मन
1
मन पर कविता बनाने का हुआ है मन
अवधू जी मन पर मन को टिकाइए
आम आदमी का मन घोड़ा बेलगाम का है
आप तो लगाम उस मन पे लगाइए
मन को लुभाने वाले मस्त-मस्त शब्द आज
ढूँढ कर मन पर कलम चलाइए
ध्यान रहे कविता हो मन को रिझाने वाली
भूल कर किसी का न मन दुखलाइए
2
तन के ही साथ मन लेता है जनम और
जन्म भर साथ उस तन का निभाता है
तन सुखी रहता तो होता गदगद मन
तन दुख देखकर मन दुख पता है
तन सुख के लिए ही स्वप्न देखता है मन
स्वप्न सच करने की योजना बनाता है
बात ही गजब होती स्वप्न सच होने पर
तन सुख पाता , मन फूले न समाता है
3
‘जैसा खायें अन्न वैसा होता मन , कहते हैं
इसलिए अवधू सुअन्न आप खाइए
संगत का असर भी मन पर पड़ता है
संगत भी आप नेक जन से निभाइए
गलत जो काम करने को उकसाता मन
वहाँ आप डाँटकर मन को मनाइए
इतना ही ध्यान बस रखना है मन पर
फिर मजा मन भर , मन से उठाइए
अवध किशोर ‘अवधू’
मोबाइल नंबर-9918854285
दिनांक -12-07-2024