मन
बचपन की मौज मस्ती के
उन्ही दिनो मे
फिर से लौट जाने का
मन है मेरा ।
कुछ नादान दोस्तों के साथ
उन्ही गलियों मे
देर रात तक खेलने का
मन है मेरा ।
खुले आसमान मे चमकते
उन्ही असंख्य तारों को
अनन्त तक गिन जाने का
मन है मेरा ।
कुछ कांट छांट कर
उन्ही गुजरे लम्हो को
फिर से जी जाने का
मन है मेरा ।।
राज विग 02.10.2020.