मन होता है मेरा,
मन होता है मेरा,
एक कहानी लिखूं
दबे जो दिले दर्द,
वो ज़ुबानी लिखूं।
तड़प उठे लफ्ज़,
वो लासानी लिखूं।
ज़ख्म खुलेंगे फिर,
जो रवानी लिखूं।
होंगे कितने बेज़ार,
जो नाफ़रमानी लिखूं।
हबीबो के क्या सुनाऊं किस्से,
क्या उनकी मेहरबानी लिखूं।।।
डॉ तबस्सुम जहां