मन से ध्यान से
तुम कुछ भी बात करो
मैं सुनूँगी मन से ध्यान से
अपनी धड़कन में सुनूँगी और बात बुनूँगी
बुन कर उनको फिर दिल मे उतारूंगी
तुम कुछ भी बात करो,
मैं सुनूँगी मन से ध्यान से
तेरी बातें सबसे प्यारी सबसे सुंदर सी
दिल पर सीधी देती दस्तक मद मस्त सी
तुम कुछ भी बात करो
मैं सुनूँगी मन से ध्यान से
तंगहाल दुनिया में नही आज कौन तुम सा है
तुम सा जो दिलों को,छूता औरप्यार करता हैं
तुम कुछ भी बात करो,
मैं सुनूँगी मन से ध्यान से
तेरी बातों में मधुर मधुर सरगम सी धुन हैं
प्यारे शब्द, छन छन कर आते है लय ताल से
तुम कुछ भी बात करो
मैं सुनूँगी मन से ध्यान से
इतने प्यारे गीत कहां मैं,कभी सुन पाई
तुमने निहाल किया मेरे हमदम मेरे हरजाई
तुम कुछ भी बात करो,
मैं सुनूँगी मन से ध्यान से
तेरा और तेरी बातों का साथ मुझे सम्बल देता हैं
इस बेदर्द दुनिया में जिंदा सा मुझे रखता है।
तुम कुछ भी बात करो
मैं सुनूँगी मन से ध्यान से
वो वक्त जब तुम साथ नहीं रहते हो मेरे
पल पल प्यारी यादों की लहरों में खोई रहती हूँ
तुम कुछ भी बात करो,
मैं सुनूँगी मन से ध्यान से
मंजु सुनेगी मन से ध्यान से हर बात तुम्हारी
पल पल हर पल ध्यान से मन से बात तुम्हारी
तुम कुव्ह भी बात करो
मैं सुनूँगी मन से ध्यान से
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद