मन सीत मीत दिलवाली
मानव तन में एक जगह ऐसी निराली,
कहे ह्रदय उसे, जिसे अनेक उपमा दे डाली,
निर्मल स्वच्छ पूरे में भरा ले रंग सुर्ख लाली
बगिया के कोमल उर तोड़ मत लेना ओ मनमाली
न उम्र की छलिया बातों में आ कसना मत दिल नाली
न जन्म का प्रभाव पड़े दिल पर,सदा करना रखवाली
बाहरी सौंदर्य पर आया दिल नाहक बातें सब जाली-जाली
दो दिन की रसिक बातों मे भरने लगे इश्करस से मतवाली
तीजे दिन भ्रम तब टूटे तो फूटे प्रेम रस की भरी प्याली
रूह से छूं ले जिसकी रूह तुमको वहीं सीत मीत दिलवाली।
-सीमा गुप्ता