मन समर्पित, तन समर्पित
मन समर्पित, तन समर्पित
प्रियतम को जीवन समर्पित
प्रेम का पंछी उड़े गगन में
पपीहे का वो राग समर्पित।
शशि बिन जैसे व्याकुल रैना,
तेरे दरश को आतुर नैना
मन पीपल-पात सा डोले बेगाना
तू आये, आ जाये चैना
मैना देख जैसे शुक है हर्षित,
तेरे अनुराग में हो जाऊँ अर्पित।
प्यारे-प्यारे, न्यारे-न्यारे,
शीतल-शीतल पवन की बयारें
बागों में जब कोयल बोले,
आँखें चाँद में तुम्हे निहारे
उपवन में नाना खग की गर्दिश,
देखा तो क्रौंच; क्रौंची को समर्पित।
हिमालय से है ऊँचा, स्नेह हमारा
समुद्र से गहरा है, बन्धन हमारा
अपनी पलकों में तुम्हें छिपा लें,
तेरे अलकों की छाँव में सो लें
नभ की अनोखी छटाओं को देख,
मन का मयूरा, हुआ आकर्षित।
– सुनील कुमार