मन संसार
जीत लिया मन को जिसने,
जीत चुका वो ही संसार,
मन से ही संसार बसे है,
जीत मन से मन से ही हार।……(1)
मन के अंदर जो भी बसे,
मन से ही बाहर है दिखें,
मन दर्पण सा ऐसा है,
झूठ-सच मन से ही दिखें।……(2)
मन मारने से जीवन है मरे,
तन मरने से मरे है प्राण,
प्राण मरे से मुक्ति मिल जाए,
मन मरने से सकल जीवन बेकार।……(3)
मन की चाल परिवर्तन शील,
हर क्षण में परिवर्तन दिखाए,
मन को साधे जो भी अपने,
वो ही मन से मन की कराए।……..(4)
मन में जिसके बस गये भगवान
मन उसका ही अस्थिर होए,
लोभ मोह क्रोध अहंकार छूटे,
मन के बंधन से मुक्त हो जाए।…….(5)
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बुद्ध प्रकाश
मौदहा जिल- हमीरपुर।