मन वृंदावन हो गया मेरा
तुमने हमको ऐसे देखा बस परिवर्तन हो गया मेरा
पतझड़ सावन होगया मेरा,रोदन गायन हो गया मेरा
जब नयन मिले फले पहले-पहले मन मे कुछ-कुछ अनुभूति हुई
जग समझा हमको दीवाना तब हमने जाना प्रीति हुई
मेरी माटी की काया को जब तेरा पारस परस मिला
यह तन चंदन हो गया मेरा और मन दर्पन हो गया मेरा
युग-युग मैं जला विरहानल मे तेरे दर्शन की प्यास लिए
आशाओं की अर्थी ढोता आहत मन टूटी श्वास लिए
मेरे प्राणों के मरुथल मे तुम जब मधुरस घट लेकर उतरे
मन वृंदावन हो गया मेरा यौवन पावन हो गया मेरा