मन ये बहका-सा हिरण है
तेज दौड़े है रुके ना,
आज बिलकुल ये मुड़े ना,
मन ये बहका-सा हिरण है
बादलों को चीर आई
घोर तम से मुक्ति पाई
भोर की आशा किरण है
***
तेज दौड़े है रुके ना,
आज बिलकुल ये मुड़े ना,
मन ये बहका-सा हिरण है
बादलों को चीर आई
घोर तम से मुक्ति पाई
भोर की आशा किरण है
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