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27 Sep 2022 · 1 min read

मन मे जो गहरी पीर है

मन में जो गहरी पीर है
*******************

मन में जो गहरी पीर है,
देती वो दिल को चीर है।

दामन है यादों से भरा,
आँखों मे भरता नीर है।

राँझा बनकर भटकूं सदा,
तुम ही तो मेरी हीर है।

विरही जोगी सा हाल है,
रहता ना कुछ भी धीर है।

मनसीरत झोंका प्रेम का,
सीने में चुभता तीर है।
********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी सिंबल वाली (कैथल)

Language: Hindi
95 Views
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