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9 Jan 2017 · 1 min read

मन मेरा रो उठा

मन मेरा रो उठा
✍✍✍✍✍✍

कोन आया मनमंदिर में जबरन
दिल का आयना तोड़ चला गया
पीर उठी है कसक -कसक कर
दिल मेरा रो उठा
बहुत समझाया मन को पर
मन मेरा रो उठा

क्यों सताया मुझको दुनियाँ ने
सोच समझ कर भी न जान सका
तू क्यों आया बेखटक जिन्दगी में
मन मेरा जान न सका
बहुत समझाया मन को पर
मन मेरा खो उठा

मधुर रिझावन की बातों से रिझा
लूट बैठा विराट हृदय को जब
मोम की भाँति पिघल गई
मृदु जल सी बह – बह गई मैं
बहुत समझाया मन को पर
मन मेरा लूट बैठा

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
73 Likes · 320 Views
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