Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2024 · 1 min read

मन मेरा गाँव गाँव न होना मुझे शहर

अल्हड़ मन मेरा चहके
सौंधी मिट्टी सा महके
जैसा चाहे ढल जाए
ज़िंदगी की चाक पर
मन मेरा गाँव गाँव
न होना मुझे शहर

उत्सव है मन का गाँव
थिरक थिरक नाचे पाँव
सूनापन समेटे शहर
रीता रीता हर पहर
मन मेरा गाँव गाँव
न होना मुझे शहर

कुएँ सा मीठा पानी मन
पीपल की बाहों में गगन
पसरी सुकूँ की छैयाँ तो
क्यूँ चुने चुभती दोपहर
मन मेरा गाँव गाँव
न होना मुझे शहर

पक्के मकाँ के कच्चे रिश्ते
इंसा बिकते कितने सस्ते
दरिया की मिठास को
पी गया खारा समंदर
मन मेरा गाँव गाँव
न होना मुझे शहर

पोखर पगडंडी हरे खेत
मन उड़े ज्यों उड़ती रेत
ईंटों के जंगल से निकल
उड़ चला कच्ची मुँडेर पर
मन मेरा गाँव गाँव
न होना मुझे शहर

रेखांकन।रेखा ड्रोलिया

Language: Hindi
1 Like · 195 Views

You may also like these posts

*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
गहरे हैं चाहत के ज़ख्म
गहरे हैं चाहत के ज़ख्म
Surinder blackpen
बिखरा ख़ज़ाना
बिखरा ख़ज़ाना
Amrita Shukla
हमारा देश
हमारा देश
SHAMA PARVEEN
■ चहेतावादी चयनकर्ता।
■ चहेतावादी चयनकर्ता।
*प्रणय*
शराबियो और जुआरीओ को हर समय रुपए की तलब लगी रहती है उनके अंद
शराबियो और जुआरीओ को हर समय रुपए की तलब लगी रहती है उनके अंद
Rj Anand Prajapati
अछूत....
अछूत....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जवानी के दिन
जवानी के दिन
Sandeep Pande
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
नया दिन
नया दिन
Vandna Thakur
मेरी माँ
मेरी माँ "हिंदी" अति आहत
Rekha Sharma "मंजुलाहृदय"
सफर सफर की बात है ।
सफर सफर की बात है ।
Yogendra Chaturwedi
कैसे मैं खुशियाँ पिरोऊँ ?
कैसे मैं खुशियाँ पिरोऊँ ?
Saraswati Bajpai
"जगत-जननी"
Dr. Kishan tandon kranti
* सुहाती धूप *
* सुहाती धूप *
surenderpal vaidya
मैं जिन्दगी में
मैं जिन्दगी में
Swami Ganganiya
दिलरुबा जे रहे
दिलरुबा जे रहे
Shekhar Chandra Mitra
गीत..
गीत..
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
3809.💐 *पूर्णिका* 💐
3809.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हे गुरुवर !
हे गुरुवर !
Ghanshyam Poddar
टुकड़े -टुकड़े हो गए,
टुकड़े -टुकड़े हो गए,
sushil sarna
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
कलाकार की कलाकारी से सारे रिश्ते बिगड़ते हैं,
कलाकार की कलाकारी से सारे रिश्ते बिगड़ते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कमजोर क्यों पड़ जाते हो,
कमजोर क्यों पड़ जाते हो,
Ajit Kumar "Karn"
तुझसे शिकवा नहीं, शिकायत हम क्या करते।
तुझसे शिकवा नहीं, शिकायत हम क्या करते।
श्याम सांवरा
Humanism : A Philosophy Celebrating Human Dignity
Humanism : A Philosophy Celebrating Human Dignity
Harekrishna Sahu
मैं नहीं तो, मेरा अंश ,काम मेरा यह करेगा
मैं नहीं तो, मेरा अंश ,काम मेरा यह करेगा
gurudeenverma198
दो रंगों में दिखती दुनिया
दो रंगों में दिखती दुनिया
कवि दीपक बवेजा
भीम राव निज बाबा थे
भीम राव निज बाबा थे
डिजेन्द्र कुर्रे
तेरे दरबार आया हूँ
तेरे दरबार आया हूँ
Basant Bhagawan Roy
Loading...