मन में जो शीतलता भर दे वो नव गीत कहाँ से लाऊँ!
मन में जो शीतलता भर दे वो नव गीत कहाँ से लाऊँ,
खुद्दारी, फितरत है मेरी, पहल न करना कसम तुम्हारी
क्यों इतने चुप चुप रहते हो,बोल न दो मुख से कहते हो,
खुद ही खुद से प्रश्न करूँ क्या और खुद ही उत्तर बन जाऊँ
मन में जो शीतलता भर दे वो नव गीत कहाँ से लाऊँ !***********************************
रंगो की तूलिका बनाने को जिसने शत रंग भरे हों
जीवन की दुर्गम राहों पे चन्द कदम भी संग धरे हों,
यादों का सम्बल बन जाये ऐसा मीत कहाँ से लाऊँ
मन में जो शीतलता भर दे वो नव गीत कहाँ से लाऊँ !! ************************************
यूँ तो पत्नी में होते हैं सारे गुण सच्चे मीतों से
पर बचपन के मोहक मन में, वय किशोरपन के यौवन में
संग रहे जो स्मृति वन में, वो मनमीत कहाँ से लाऊँ
मन में जो शीतलता भर दे वो नव गीत कहाँ से लाऊँ !!!
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अनुराग दीक्षित
३०/०८/१७