मन में जब भी दूरी बढती, तो उसका परिणाम कलह है,
मन में जब भी दूरी बढती, तो उसका परिणाम कलह है,
तिरिस्कार जब भी मिलता है, उसकी कोई रही बजह है l
माना यह सबको समझोते, करना पड़ते हैं जीवन में,
इनसे जो ऊपर उठ जाता, उसकी अपनी स्वयम जगह है l
मन में जब भी दूरी बढती, तो उसका परिणाम कलह है,
तिरिस्कार जब भी मिलता है, उसकी कोई रही बजह है l
माना यह सबको समझोते, करना पड़ते हैं जीवन में,
इनसे जो ऊपर उठ जाता, उसकी अपनी स्वयम जगह है l