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6 Jul 2020 · 1 min read

मन महके सावन में

*** मन बहके सावन मे ***
*********************

जब मोती बरसे सावन में
तन मन आग लगे सावन में

काया ढूंढती प्रेम की छाया
व्यथित मन बहके सावन में

छाये काली घटा घन घोर
यौवन खिल जाये सावन में

बारिश की मधुरिम बेला में
कोयल झूम उठे सावन में

जब जब ये सावन है बरसे
चित प्यासा तरसे सावन में

तपती धरती शांत हो जाए
जब मेघ बरसते सावन में

भूखी नजर दीद को तरसे
दीवाने मरते सावन में

तकिया ले बाहों में सोये
जब याद सतावे सावन में

सुखविन्द्र विरह में बेचैन
रोम रोम भीगे सावन में
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

4 Comments · 568 Views
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