Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2017 · 2 min read

मन बेचैन होता है…. .

मन बेचैन होता है…
बात जब ह्रदय से जुड़े रिश्तों की हो तो जाहिर सी बात है जरा सी आह भर से मन बेचैन हो उठता है! और जहाँ पर एक पिता के प्रति स्वयं का स्नेह और दायित्व हो तो बेचैन होना स्वाभाविक है! जब दूरी हो अपनों से तो कमी हर पल लगती है हर पल यादों से भरा होता है पर कुछ मजबूरियाँ होती है जो खुद को अपनों से दूर करती हैं वरना कौन दूर होना चाहता है! बात जब फौजी भाईयों की होती है तो रुह काँप जाती हैं पूरा घर उनके आने का इन्तजार किया करता है माँ और पिता बेटे के इन्तजार में एक बहन भाई के और पत्नी अपने पति के इन्तजार में हर पल पलके बिछाये बैठे रहते हैं!
और जब अचानक खबर मिलती है उनके शहीद होने की तो सारे सपने बिखर जाते हैं पल भर में!एक पिता कहता है कल ही तो बेटे से बात हुई थी एक माँ…. एक पत्नी…..???बुढ़ापे के लिए बैसाखी का भी सहारा शेष नहीं रह जाता! शेष रह जाती हैं तो सिवाय यादें और आँसू!
ये दूरी भी कितना तड़पाती है जीवन भर!
दो सखियाँ है मेरी जो फौजी की पत्नी कहलाती है! देखना होता कि कैसे साल-साल भर इन्तजार करती है! उनके जज्बे को दिल हर बार सलाम करता है! ऐसे में उस फौजी जवान के पास भी बहुत सारी जिम्मेदारियाँ होती हैं पहली अहम् जिम्मेदारी तो देश की रक्षा करना और दूसरी अपने परिवार की! कैसे एक वृद्ध पिता अपने बेटे की राह देखता रहता है कि कब उसका लाड़ला आयेगा! लाड़ले को भी हर पल चिन्ता बनी रहती है कि बाबू जी की तबियत सही तो होगी ना? कुछ मालूम नहीं? क्योंकि बाबू जी हर दु:ख को छिपा लेते हैं ताकि बेटा परेशान ना हो!
सच रिश्ते ऐसे ही होते हैं एक दूसरे के लिए अपनापन और लगाव! बात उनकी तो सबसे अलग है!
आजकल अपने शहर से मैं भी दूर हूँ ! कल जब पता चला पापा की तबियत सही नहीं है मन एकदम घबरा गया पूरी रात नींद नहीं आयी जाने कितने बुरे-बुरे ख्याल आते रहे!
घर पर अक्सर सब बातें छिपा लेते हैं ताकि मैं परेशान ना होऊँ! मेरी खुशी के लिए झूठी मुस्कान चेहरे पर दर्द में भी! इसी छिपाने की वजह से मैंने अपने जीवन में एक को हमेशा के लिए खो दिया! मम्मी ने तनिक भी जाहिर ही ना किया!
आज भी मन बार-बार यही कहता है काश! एक बार मुझसे बात तो कर लेती तुम! ये तुम्हारा छिपाना कितना गलत हो गया!
इसलिए दूर रहकर जब अपनों के अस्वस्थ रहने की खबर मिलती हैं तो मन में एक अजीब सी बेचैनी होती है! लगता है उसी पल वहाँ पहुँच जाएँ!पर कुछ मजबूरियाँ होती हैं जो अपनों से दूर रहने का गुनाह बार-बार करवाती हैं! लेकिन मन यही कहता है बस कुछ बन्धन कम हो जाएँ और हम अपनों के करीब हो! हर सुख-दु:ख में साथ!

शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)

Language: Hindi
Tag: लेख
662 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चीजें खुद से नहीं होती, उन्हें करना पड़ता है,
चीजें खुद से नहीं होती, उन्हें करना पड़ता है,
Sunil Maheshwari
प्यार समर्पण माँगता,
प्यार समर्पण माँगता,
sushil sarna
आप लाख प्रयास कर लें। अपने प्रति किसी के ह्रदय में बलात् प्र
आप लाख प्रयास कर लें। अपने प्रति किसी के ह्रदय में बलात् प्र
इशरत हिदायत ख़ान
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अतीत - “टाइम मशीन
अतीत - “टाइम मशीन"
Atul "Krishn"
चिंतन
चिंतन
Dr.Pratibha Prakash
जाओ हम पूरी आजादी दे दिये तुम्हें मुझे तड़पाने की,
जाओ हम पूरी आजादी दे दिये तुम्हें मुझे तड़पाने की,
Dr. Man Mohan Krishna
🥀*गुरु चरणों की धूलि*🥀
🥀*गुरु चरणों की धूलि*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मुझसे नाराज़ कभी तू , होना नहीं
मुझसे नाराज़ कभी तू , होना नहीं
gurudeenverma198
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
Keshav kishor Kumar
शोर है दिल में कई
शोर है दिल में कई
Mamta Rani
उम्र का एक
उम्र का एक
Santosh Shrivastava
"युग -पुरुष "
DrLakshman Jha Parimal
"मैं तारीफें झूठी-मूठी नहीं करता ll
पूर्वार्थ
बसुधा ने तिरंगा फहराया ।
बसुधा ने तिरंगा फहराया ।
Kuldeep mishra (KD)
जिसकी तस्दीक चाँद करता है
जिसकी तस्दीक चाँद करता है
Shweta Soni
“बारिश और ग़रीब की झोपड़ी”
“बारिश और ग़रीब की झोपड़ी”
Neeraj kumar Soni
मेरे सनम
मेरे सनम
Shiv yadav
जीवन के दिन चार थे, तीन हुआ बेकार।
जीवन के दिन चार थे, तीन हुआ बेकार।
Manoj Mahato
दुनियादारी
दुनियादारी
Surinder blackpen
बच्चा जो पैदा करें, पहले पूछो आय ( कुंडलिया)
बच्चा जो पैदा करें, पहले पूछो आय ( कुंडलिया)
Ravi Prakash
😊पर्व विशेष😊
😊पर्व विशेष😊
*प्रणय प्रभात*
"" *सिमरन* ""
सुनीलानंद महंत
3611.💐 *पूर्णिका* 💐
3611.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
" जेबकतरा "
Dr. Kishan tandon kranti
हमें मजबूर किया गया 'अहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए,
हमें मजबूर किया गया 'अहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
डर लगता है।
डर लगता है।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ବାଉଁଶ ଜଙ୍ଗଲରେ
ବାଉଁଶ ଜଙ୍ଗଲରେ
Otteri Selvakumar
जिंदगी बिलकुल चिड़िया घर जैसी हो गई है।
जिंदगी बिलकुल चिड़िया घर जैसी हो गई है।
शेखर सिंह
न रंग  था न  रूप  था  खरीददार  थे मिले।
न रंग था न रूप था खरीददार थे मिले।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Loading...