मन पंछी उड़ उड़ जाता है
जब भोर सुहानी आती है, मन पंछी उड़ जाता है
जब याद तुम्हारी आती है, गीत विरह के गाता है
जब शाम सुनहरी आती है, प्रेम गीत मन गाता है
जब न होतीं न पास पिया, मन पास तुम्हारे आता है
सांझ ढले घर आता पंछी, चैन नहीं पाता है
अंधियारी नम रातों में, जिया बहुत घबराता है
आ जाओ पिया मन पंछी, तुम विन उड़ उड़ जाता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी