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8 Sep 2024 · 1 min read

मन नही है और वक्त भी नही है

मन नही है और वक्त भी नही है
किसी से बहस करने का और लगाव रखने का
जो है जैसा है ठीक है
मेरी ऊर्जत बस खुद की जेहनत बेहतर और बरकत पर रहती है अब।
वास्ते के रास्ते अब कभी कबार खुलते है मुझसे
वरना इंसान जैसा है उसे देखकर मन नही करता रास्ते खोलने का

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