मन नही है और वक्त भी नही है
मन नही है और वक्त भी नही है
किसी से बहस करने का और लगाव रखने का
जो है जैसा है ठीक है
मेरी ऊर्जत बस खुद की जेहनत बेहतर और बरकत पर रहती है अब।
वास्ते के रास्ते अब कभी कबार खुलते है मुझसे
वरना इंसान जैसा है उसे देखकर मन नही करता रास्ते खोलने का