‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ कहावत के बर्थ–रूट की एक पड़ताल / DR MUSAFIR BAITHA
‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ – एक कहावत है जिसका अर्थ किया जाता है कि मन शुद्ध है तो मनचाहे धर्म-फल की प्राप्ति होती है।
इस कहावत की कथा को कबीर के आसपास ही हुए दलित कवि रैदास से हास्यास्पद रूप से जोड़ा जाता है।
रैदास ने शुध्द मन से पुकारा तो गंगा उसके घर की कठौती में प्रकट हो गयी।
स्पष्ट है, यह लोकोक्ति भले ही प्रगतिशील अर्थ देती दिखती है, मगर है यह हिन्दू धार्मिक अंधविश्वास आधारित।
गंगा नदी को यहाँ देवी मान लिया गया है और रैदास को उसका अनन्य भक्त जिसकी चाह को पूरा करने वह कठौती में उतर आती है।
मित्रो, ऐसे मुहावरों-लोकोक्तियों के स्वीकारात्मक प्रयोग से हमें बचना चाहिए।।
बिहार में तो छठ नामक पर्व अब लिटरली कठौती में गंगा को डालकर मनाया भी जाता है; मुहल्ले या घर में गड्ढा खोद या बड़े टब में पानी भरा जाता है और उसमें थोड़ा गंगा का पानी मिला दिया जाता है।