मन
मन
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मन की ही मन करे , मन सोचा कब होय ,
मन मानो मनो दबा ,मन खोदा नहीं कोय ।
दिखाए दांत हाथी के , भोजन के कछु होय ,
मन से तो छल लिए ,मन बांचा नाहि कोय ।
मन वचन कर्म के , साधक बिरले होय ,
मन मीत जान प्रिये ,जान दिए नाहि कोय।
मनवा मन ठान लें ,काज सफल तै होय ,
मन अर्ज कहा करें , देव सुनें नाहि कोय ।
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शेख जाफर खान