Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2024 · 1 min read

मन खग

बादलों के संग संग
कहां जाते हो
मन खग
सुदूर क्षितिज
की
नापने को दूरियां

विलीन हो जाएंगे
वन,जल,नीर
मेघ
तुम्हारा आधार
क्या होगा फिर
आवश्यक नहीं
जो दिखता हो
या
अस्तित्व जिसका
होता सा लगता हो
हो वास्तव में भी

मन हो जाओ अनासक्त
हो जाओ आशावान
लेकिन विरक्त
ठीक
अनासक्ति योगी की तरह
पानी में रहो
परंतु
रहो निर्लिप्त
पानी संग
सूखा रहना
जब तुम सीख जाओगे
शिखर संग होकर भी
फिर
तुम
पिघल कर बहना सीख जाओगे
पिघल कर बहना सीख जाओगे।

42 Views
Books from डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
View all

You may also like these posts

बेवजह  का  रोना  क्या  अच्छा  है
बेवजह का रोना क्या अच्छा है
Sonam Puneet Dubey
- मोहब्बत की मिसाले -
- मोहब्बत की मिसाले -
bharat gehlot
कमबख़्त इश़्क
कमबख़्त इश़्क
Shyam Sundar Subramanian
उनका शौक़ हैं मोहब्बत के अल्फ़ाज़ पढ़ना !
उनका शौक़ हैं मोहब्बत के अल्फ़ाज़ पढ़ना !
शेखर सिंह
पढ़ना-लिखना तो ज़रूरी है ही,
पढ़ना-लिखना तो ज़रूरी है ही,
Ajit Kumar "Karn"
औरों की बात मानना अपनी तौहीन लगे, तो सबसे पहले अपनी बात औरों
औरों की बात मानना अपनी तौहीन लगे, तो सबसे पहले अपनी बात औरों
*प्रणय*
तुम्हारा आना
तुम्हारा आना
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
डी. के. निवातिया
वोट डालने निश्चित जाना
वोट डालने निश्चित जाना
श्रीकृष्ण शुक्ल
बाल कविता: मोर
बाल कविता: मोर
Rajesh Kumar Arjun
ये साथ चलने के लिए निकले थे लोग कितने।
ये साथ चलने के लिए निकले थे लोग कितने।
Phool gufran
अनुराग
अनुराग
Bodhisatva kastooriya
आकांक्षा तारे टिमटिमाते ( उल्का )
आकांक्षा तारे टिमटिमाते ( उल्का )
goutam shaw
टिमटिम करते नभ के तारे
टिमटिम करते नभ के तारे
कुमार अविनाश 'केसर'
गौरतलब
गौरतलब
Dr. Kishan tandon kranti
‘सच’ का सच
‘सच’ का सच
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
नई किरण रोशनी की ….
नई किरण रोशनी की ….
meenu yadav
सीमायें
सीमायें
Shashi Mahajan
आज भी मुझे मेरा गांव याद आता है
आज भी मुझे मेरा गांव याद आता है
Praveen Sain
"नींद नहीं आती है"
राकेश चौरसिया
अब नहीं
अब नहीं
Seema gupta,Alwar
सत्य क्या है ?
सत्य क्या है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कमीना विद्वान।
कमीना विद्वान।
Acharya Rama Nand Mandal
मूरत
मूरत
कविता झा ‘गीत’
इश्क तू जज़्बात तू।
इश्क तू जज़्बात तू।
Rj Anand Prajapati
अंधेरों में कटी है जिंदगी अब उजालों से क्या
अंधेरों में कटी है जिंदगी अब उजालों से क्या
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
19, स्वतंत्रता दिवस
19, स्वतंत्रता दिवस
Dr .Shweta sood 'Madhu'
4203💐 *पूर्णिका* 💐
4203💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
खुदा की चौखट पर
खुदा की चौखट पर
dr rajmati Surana
कुंडलिया. . .
कुंडलिया. . .
sushil sarna
Loading...