मन को शन्ति
मैं मन्दिर जा रहा हूँ। सामने से मेरा मित्र आहुजा मिल जाता है वह बोला- मन्दिर से आप को क्या मिला ?
मैं सोच में पड़ गया और कुछ सोचने के बाद बोला- मुझे बहुत कुछ मिला है।
– क्या मिला है साफ – साफ बताओ !
– मुझे भगवान तो नहीं मिले है परन्तु मन को शन्ति अवश्य मिलती है जो मेरे मन के तनाव को दूर करती है।
– बीजेन्द्र जैमिनी