मन को मोह लेते हैं।
कल कल करती नादिया,,,
चीं चीं करती चिड़िया,,,
भंवरे का पुष्प पे गुंजन करना,,,
ये सब मन को मोह लेते है।।
पीहू का पपीहा,,,
कोयल का कू क करना,,,
मेघा का गरज कर घुमड़ना,,,
ये सब हृदय को जोड़ लेते है।।
मस्जिद की आती आजाने,,,
मंदिर में घंटियों की आवाजे,,,
त्यौहारों में मेले की दुकानें,,,
ये सब अपनी ओर मोड़ लेते है।।
बचपन में ननिहाल,,,
शादी के बाद ससुराल,,,
जवानी में जिंदगी के हालात,,,
ये सब मनुष्य गौर से जीते है।।
साधु का व्यवहार,,,
मनुष्य का सदाचार,,,
जीवन में संस्कार,,,
ये सब किसी को दोष ना देते है।।
प्रीतम की प्रेम इच्छा,,,
समय की प्रतीक्षा,,,
गुरु की दीक्षा,,,
ये सब मन के होश में करते है।।
किस्मत की मार,,,
अपनो की दुत्कार,,,
समाज से बहिष्कार,,,
ये सब मनुष्य को तोड़ देते है।।
कालियों का सूर्य प्रकाश में खिलना,,,
हरी घास में ओस की बूंदों का चमकना,,,
पर्वतों से झरने का गिरना,,,
ये सब प्रकृति को ओढ़ लेते है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ