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22 May 2023 · 1 min read

मन को अक्सर याद हैं आते

मन को अक्सर याद हैं आते

वो बीते गुजरे स्वपनिल लम्हें
वो कच्चे मन के मीठे सपने

मन को अक्सर याद हैं आते

वो खुला खुला छोटा सा घर
वो चौड़ी चौड़ी शान्त डगर
वो मेरे अपने सहपाठी गण

मन को अक्सर याद हैं आते

वो उनकी तिरछी सी नज़र
वो हौली सी दिल की दस्तक
वो शरमाकर फिर मुस्काना

मन को अक्सर याद हैं आते

वो राह जिसे हम भूल चले थे
वो प्रीत जिसे बिसरा बैठे थे
अन्तर्मन से निकल निकल कर

मन को अक्सर याद हैं आते

गूढ़ गहनतम मानव मन पर
छाप छोड़कर दिन औ पल छिन
गुज़र गुज़रकर नहीं गुज़रते

मन को अक्सर याद हैं आते

डॉ सुकृति घोष
ग्वालियर, मध्यप्रदेश

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