Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jan 2022 · 1 min read

मन के समुंदर में किनारे बहुत हैं

मन के समुंदर में
किनारे बहुत हैं
ठहरने को यहां
बहाने बहुत हैं!

खाली न होगा
कभी ये घरौंदा
इस घरोंदे के
चाहने वाले बहुत हैं!!

इस घरोदें का
दिलो दरिया बड़ा है
किन्तु इसे मिटाने
वाले बहुत हैं!

मन के समुंदर में
किनारे बहुत हैं
ठहरने को यहां
बहाने बहुत हैं!!

संतोष जोशी
गरुड़ बागेश्वर
उत्तराखंड

Language: Hindi
386 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
मुक्तक
मुक्तक
गुमनाम 'बाबा'
प्रभु हैं खेवैया
प्रभु हैं खेवैया
Dr. Upasana Pandey
करके याद तुझे बना रहा  हूँ  अपने मिजाज  को.....
करके याद तुझे बना रहा हूँ अपने मिजाज को.....
Rakesh Singh
❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
❤️ मिलेंगे फिर किसी रोज सुबह-ए-गांव की गलियो में
शिव प्रताप लोधी
मानसिक तनाव
मानसिक तनाव
Sunil Maheshwari
बिल्कुल नहीं हूँ मैं
बिल्कुल नहीं हूँ मैं
Aadarsh Dubey
चमन यह अपना, वतन यह अपना
चमन यह अपना, वतन यह अपना
gurudeenverma198
आनंद (सुक़ून) वाह्यलोक नही, अंतर्मन का वासी है।”
आनंद (सुक़ून) वाह्यलोक नही, अंतर्मन का वासी है।”
*प्रणय*
LEAVE
LEAVE
SURYA PRAKASH SHARMA
इन्द्रिय जनित ज्ञान सब नश्वर, माया जनित सदा छलता है ।
इन्द्रिय जनित ज्ञान सब नश्वर, माया जनित सदा छलता है ।
लक्ष्मी सिंह
आनंद से जियो और आनंद से जीने दो.
आनंद से जियो और आनंद से जीने दो.
Piyush Goel
*कन्या पूजन*
*कन्या पूजन*
Shashi kala vyas
होलिका दहन
होलिका दहन
Bodhisatva kastooriya
సంస్థ అంటే సేవ
సంస్థ అంటే సేవ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
एहसास
एहसास
Dr fauzia Naseem shad
फ्रेम  .....
फ्रेम .....
sushil sarna
झूल गयी मोहब्बत मेरी,ख्वाइश और जेब की लड़ाई में,
झूल गयी मोहब्बत मेरी,ख्वाइश और जेब की लड़ाई में,
पूर्वार्थ
देखेगा
देखेगा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*साबुन से धोकर यद्यपि तुम, मुखड़े को चमकाओगे (हिंदी गजल)*
*साबुन से धोकर यद्यपि तुम, मुखड़े को चमकाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
दूर अब न रहो पास आया करो,
दूर अब न रहो पास आया करो,
Vindhya Prakash Mishra
नव भारत निर्माण करो
नव भारत निर्माण करो
Anamika Tiwari 'annpurna '
ये कटेगा
ये कटेगा
शेखर सिंह
" ज्ञान "
Dr. Kishan tandon kranti
तीसरी आंख को समझने के सरल तरीके, और जागृत कैसे करें, लाभ व उद्देश्य। रविकेश झा
तीसरी आंख को समझने के सरल तरीके, और जागृत कैसे करें, लाभ व उद्देश्य। रविकेश झा
Ravikesh Jha
3422⚘ *पूर्णिका* ⚘
3422⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
घर आंगन
घर आंगन
surenderpal vaidya
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...