*मन के राजा को नमन, मन के मनसबदार (कुंडलिया)*
मन के राजा को नमन, मन के मनसबदार (कुंडलिया)
मन के राजा को नमन, मन के मनसबदार
मन ने पहने वस्त्र हैं, मन है अश्व सवार
मन है अश्व सवार, सवारी मन ही करता
मन ही सारे अंग, रंग में सौ-सौ भरता
कहते रवि कविराय, धनिक यह सच्चे धन के
तन से परे विराट, ब्रह्म ऋषि होते मन के
मनसबदार = पद पर बैठे व्यक्ति
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451