मन के टुकड़े
टूटे हुए मन के टुकड़े
झड़ते जाते हैं
हर ठोकर पर
और जब उसे
समेट ना सके कोई
घटता जाता हैं मन
दुनियाँ के लिए ,,,,,
टूटे हुए मन के टुकड़े
झड़ते जाते हैं
हर ठोकर पर
और जब उसे
समेट ना सके कोई
घटता जाता हैं मन
दुनियाँ के लिए ,,,,,