मन की सुराही
कहीं खाली पड़ी है
मन की सुराही
अनबुझ रास्तों पर,
कहीं यादें खो गई हैं।
असफार से लोटा हुआ
ये मायूस दिल की
धड़कने कहीं,
जिस्म में दब गई है।
कहीं जोरों पर हैं
अजियत की तमाम कोशिशें
तो सुलझन में कहीं,
ओर गिरह बंध गई है।
कहीं खाली पड़ी है
मन की सुराही
अनबुझ रास्तों पर,
कहीं यादें खो गई हैं।
असफार से लोटा हुआ
ये मायूस दिल की
धड़कने कहीं,
जिस्म में दब गई है।
कहीं जोरों पर हैं
अजियत की तमाम कोशिशें
तो सुलझन में कहीं,
ओर गिरह बंध गई है।