“मन की सरस्वती” (संक्षिप्त कहानी)
सुबह उठते ही प्रतिदिन मंदिर से भजनों की मधुर ध्वनि सुन मनमुग्ध हो, सुनील-संगीतकार अचंभित, किसकी आवाज़ आ रही?
वह मंदिर गया, तो भजन गा रही, मद भरी ध्वनि, वह गुरु के साथ आई, देखकर सुनील आश्चर्यचकित। वह मन की आंखों से सब देख रही।
मन ही मन विचार, “बाहरी सुंदरता पर मोहित हो मन की सुंदरता अनुभव ही नहीं करता” गुरुजी ने मंदिर के द्वारे ठंड में ठिठुरती-हुई बच्ची को पालते हुए नई दिशा देने की कोशिश के साथ भक्ति संगीत सिखाया,उनका नाम रखा सरस्वती।
सुनील ने उसकी इच्छानुसार विवाह रूपी संगीत-साधना में मन की सरस्वती का किया चयन।