मन की बात :”चंदन”
पिछले दिनों मिर्ज़ापुर का सीजन 2 आ गया। इसके साथ ही सालो का इंतजार खत्म हो गया। सबसे ज़्यादा इसका इंतजार हिन्दू भाई ही कर रहे थे। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी वो साज़िश समझने में नाकाम हो गए?
ये साज़िश थी। लोग बॉलीवुड को बॉयकॉट करते रह गए लेकिन अब उसकी जगह वेब सीरीज ने ले ली। हर वेब सीरीज में एक एजेंडा ही रहता है उसी के तहत मिर्ज़ापुर में भी है।?
आपको याद हैं पहले की फिल्में कैसे बनती थी? एक ‘ ठाकुर ‘ हुआ करता था जो कोठी में रहता था। वो सारे लेबर मजदूरों पर ‘ जुल्म ‘ करता था। लेबर यूनियन का अध्यक्ष हीरो रहता था जो उस ठाकुर से लड़ता झगड़ता रहता है।
इस तरीके से बहुत फिल्में बनाई जाती थी। अब आप कहेंगे फिल्म ही तो थी? इससे क्या होता है।
सही बात है फिल्म ही थी। लेकिन इन फिल्मों ने ऐसा असर डाला लोगो के दिमाग में की उनके लिए हर ‘ ठाकुर ‘ अमीर और जालिम ही होने लगा। जब हाथरस का केस आया था तो सबको यही लगा था कि आरोपी ‘ ठाकुर ‘ है तो कोठी वाले, रसूख वाले जालिम ही होंगे। जबकि आप उन आरोपियों के घर देखेंगे तो तरस आ जाएगा उनकी गरीबी पर। बाद में ये भी पता चला की इनके नामे पर दंगे की साज़िश थी।
ये जितने भी संगठन है जो सवर्णों को बदनाम करते रहते हैं कि सवर्ण उनका हजारों साल से शोषण कर कर रहे, उनके पास सबूत के नाम पर यही सब फिल्म ही होती है। इसी फिल्म से वो एक न्यूट्रल जनता का ब्रेनवाश करते हैं। और आप कहते हैं की एक फिल्म से क्या होता है?
यहीं कुछ मिर्ज़ापुर में हुआ है। ‘ त्रिपाठी ‘ की एक काल्पनिक दुनिया दिखाई गई जिसने त्रिपाठी, त्रिपाठी चौराहा जैसा दिखाया गया। उसमे एक ‘ मकबूल ‘ को सबसे ईमानदार दिखाया गया है। पूरे सीरीज में ब्राह्मण शराब,शबाब,सिगरेट, मुर्गा , हिंसा, खून – कत्ल कर रहा।
एक शिखा रखने वाला, जनेऊ धारण करने वाला, तिलक लगाने वाला समाज कभी ऐसा करता है क्या? जो समाज को दिशा दिखाता है, जों लोगो को ज्ञान देता है, उन ब्राह्मणों को क्या ये सीरियल बदनाम नहीं करता?
कुछ लोगों का ये मत था कि इसमें ब्राह्मणों को मजबूत दिखाया गया है तो समस्या कहा है। भैया, एजेंडा की लड़ाई नहीं जानते हो क्या ?
जों सबसे ज़्यादा गलत है उसे पर्दे पर मासूम, वफादार दिखाया जा रहा ( मकबूल) और जिसने आजतक कुछ भी नहीं किया ( ब्राह्मण) उस पर्दे पर इतना नेगेटिव रोल में दिखाया जा रहा।
ये जो वेब सीरीज है ना तो वो हमारे आपके लिए नहीं बन रही। वो छोटे बच्चो के लिए बनाई जा रही जिनको समझ नहीं है। उनके मन में ये बैठा दिया जायेगा कि ब्राह्मण ( त्रिपाठी, पंडित, शुक्ला, त्यागी ) बहुत पैसे वाले और मजबूत होते थे और लोगो का शोषण करते थे। फिर यही बच्चें बड़े होकर कहेंगे कि मनुवादियों ने 5000 साल से अत्याचार किया और सबूत के नाम पर इसके वीडियो दिखायेंगे।
वामपंथी हमेशा 20 साल आगे का सोच के चलते हैं। अगर इनके एजेंडे को विफल करना है तो ऐसी वेब सीरीज बच्चो के हाथ में तो ना ही पड़ने दीजिएगा। वरना अभी तक ब्राह्मण पाखंडी, ठाकुर ज़ालिम, बनिया सूदखोर तक तो सिद्ध किए जा चुके हैं। आगे पता नहीं और क्या क्या सिद्ध किए जाएंगे और हम हमारे नाम पे दलाली करने वाले पार्टी और संगठन का झंडा लिए ही रह जाएंगे।