मन की तरंग
आज हिलोरें मारती है मन की तरंग
दीयों की रोशनी से रोशन है घर-आँगन
कहीं पर पटाखे, कहीं पर फुलझड़ियाँ
कहीं झालरों की लगी सुंदर लड़ियाँ
बताशे, चूरा, रेवडी़ और भिन्न-भिन्न मिठाई
छाई हैं खुशियाँ आज दीपावली है आई
प्रेम और सौहार्द से त्योहार सभी मनाना
सबसे प्रेम करना किसी को न सताना
त्योहार सीख देता मिल के है हमको रहना
एकता और भाईचारा मानव का है गहना
आओ! हम मिलकर दीपावली मनाएँ
चहुँ ओर फैले खुशियाँ दुख-दर्द भूल जाएँ।