मन की गांठ
अपने मन के बंध जब हमने खोले
आसन कांपे और सिंहासन डोले
तब अंधभक्तों की भीड़ जमा कर
सारे भूदेव एक सुर में यह बोले-
“हमारा धर्म ख़तरे में है!
हमारी संस्कृति ख़तरे में है!!
इस पर तुरंत प्रतिबंध लगाओ!
इसे यहां से कहीं दूर भगाओ!!”
Shekhar Chandra Mitra
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