मन की उलझने
जब पढ़ने बैठता हूँ गणित
तब अंग्रेजी पढ़ने का मन करता है,
और जब अंग्रेजी पढ़ने लगता हूँ
तब गणित मन में चलने लगता है,
जब फिर से गणित बनाने लगता हूँ
तब कविता पाठ करने का मन करता है,
और जब कविता पाठ करने लगता हूँ
तब कविता रचने का मन करता है,
जब कविता लिखने बैठता हूँ
तब शब्दकोश रट जाने का मन करता है,
जब शब्दकोश पढ़ने लगता हूँ
तब यूँ ही पढ़ते-पढ़ते नींद आ जाती है,
और फिर दो-तीन घंटे सोया ही रह जाता हूँ,
यही रही है मेरी आदत
कैसे मैं इससे छुटकारा पाऊँ?
इन्हीं उलझनों के कारण
बीतता जा रहा समय मेरा,
ना मैं कुछ कर पा रहा
ना कुछ करने के काबिल बचा,
पर मानूंगा ना हार इतनी आसानी से,
कोशिशें लगातार करूंगा
अपनी उलझनों पर विजय पाने के लिए |