Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Oct 2021 · 1 min read

//… मन का पंछी…//

//…मन का पंछी…//

दिल का भोला,
तन का छोटा
रंगत इसका ,
तितली जैसा है…!

कभी यहां ,
फुदकता रहता
कभी यहां ,
से उड़ जाता है…!

जहां मिला है ,
दाना इसको
वहीं बसेरा ,
कर लेता है…!

आंखें हैं इसकी ,
पानी जैसी
हर रंगों से ,
मिलती है……!

पर इसमें है ,
किसने झांका
आंसू पल- पल ,
ढलती है…!,

बहती है तब ,
झरना लगता
रुकती तब ,
सागर जैसा है…!

उड़ते – उड़ते ,
थक सा जाता
कहीं रुकने का ,
नाम न लेता…!

हर उड़ान पर ,
आंधी है
और मंजिल पाने
की आशा है…!

पर नादान है ,
ये क्या जाने
कि मंजिल ,
मेरा कैसा है…?

कभी आसमान में ,
उड़ता है ,
तो सितारों से ,
दोस्ती करता है…!

फिर सितारों की ,
महफिल में ,
वो खुद को
तन्हा पाता है…!

फिर तन्हाई में ,
चुपके-चुपके
चुपके से ,
रो लेता है…!

जीवन के ,
सफर में ,
अरमां है बस ,
इसकी एक…!

उड़ते-उड़ते ,
मिल जाए ,
इसको कोई ,
शिकारी नेक…!

मन में अपना ,
जाल बिछा कर,
कर ले ,
इसको कब्जे में…!

मेरे मन के पंछी को ,
रख ले इसके ,
पंख कुतरकर
अपने मन के पिंजरे में…!

चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव( छत्तीसगढ)

Language: Hindi
350 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
4-मेरे माँ बाप बढ़ के हैं भगवान से
4-मेरे माँ बाप बढ़ के हैं भगवान से
Ajay Kumar Vimal
तुमसा तो कान्हा कोई
तुमसा तो कान्हा कोई
Harminder Kaur
तुम्हें लिखना आसान है
तुम्हें लिखना आसान है
Manoj Mahato
अदम्य जिजीविषा के धनी श्री राम लाल अरोड़ा जी
अदम्य जिजीविषा के धनी श्री राम लाल अरोड़ा जी
Ravi Prakash
उर्दू
उर्दू
Surinder blackpen
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कई महीने साल गुजर जाते आँखों मे नींद नही होती,
कई महीने साल गुजर जाते आँखों मे नींद नही होती,
Shubham Anand Manmeet
నా గ్రామం
నా గ్రామం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जीवन की आपाधापी में, न जाने सब क्यों छूटता जा रहा है।
जीवन की आपाधापी में, न जाने सब क्यों छूटता जा रहा है।
Gunjan Tiwari
खेल और राजनीती
खेल और राजनीती
'अशांत' शेखर
टिक टिक टिक
टिक टिक टिक
Ghanshyam Poddar
"अन्तर"
Dr. Kishan tandon kranti
मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता
Mukesh Kumar Sonkar
जीवन में आगे बढ़ जाओ
जीवन में आगे बढ़ जाओ
Sonam Puneet Dubey
स्त्री एक रूप अनेक हैँ
स्त्री एक रूप अनेक हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कोई चोर है...
कोई चोर है...
Srishty Bansal
■ शुभ देवोत्थान
■ शुभ देवोत्थान
*प्रणय प्रभात*
आज़ाद पैदा हुआ आज़ाद था और आज भी आजाद है।मौत के घाट उतार कर
आज़ाद पैदा हुआ आज़ाद था और आज भी आजाद है।मौत के घाट उतार कर
Rj Anand Prajapati
रार बढ़े तकरार हो,
रार बढ़े तकरार हो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हिन्दी की दशा
हिन्दी की दशा
श्याम लाल धानिया
अनुराग
अनुराग
Bodhisatva kastooriya
जय मां ँँशारदे 🙏
जय मां ँँशारदे 🙏
Neelam Sharma
चाहत है बहुत उनसे कहने में डर लगता हैं
चाहत है बहुत उनसे कहने में डर लगता हैं
Jitendra Chhonkar
अजीब शख्स था...
अजीब शख्स था...
हिमांशु Kulshrestha
उस रावण को मारो ना
उस रावण को मारो ना
VINOD CHAUHAN
"" *जीवन आसान नहीं* ""
सुनीलानंद महंत
श्वान संवाद
श्वान संवाद
Shyam Sundar Subramanian
वक्त की कहानी भारतीय साहित्य में एक अमर कहानी है। यह कहानी प
वक्त की कहानी भारतीय साहित्य में एक अमर कहानी है। यह कहानी प
कार्तिक नितिन शर्मा
वो मूर्ति
वो मूर्ति
Kanchan Khanna
Loading...