//… मन का पंछी…//
//…मन का पंछी…//
दिल का भोला,
तन का छोटा
रंगत इसका ,
तितली जैसा है…!
कभी यहां ,
फुदकता रहता
कभी यहां ,
से उड़ जाता है…!
जहां मिला है ,
दाना इसको
वहीं बसेरा ,
कर लेता है…!
आंखें हैं इसकी ,
पानी जैसी
हर रंगों से ,
मिलती है……!
पर इसमें है ,
किसने झांका
आंसू पल- पल ,
ढलती है…!,
बहती है तब ,
झरना लगता
रुकती तब ,
सागर जैसा है…!
उड़ते – उड़ते ,
थक सा जाता
कहीं रुकने का ,
नाम न लेता…!
हर उड़ान पर ,
आंधी है
और मंजिल पाने
की आशा है…!
पर नादान है ,
ये क्या जाने
कि मंजिल ,
मेरा कैसा है…?
कभी आसमान में ,
उड़ता है ,
तो सितारों से ,
दोस्ती करता है…!
फिर सितारों की ,
महफिल में ,
वो खुद को
तन्हा पाता है…!
फिर तन्हाई में ,
चुपके-चुपके
चुपके से ,
रो लेता है…!
जीवन के ,
सफर में ,
अरमां है बस ,
इसकी एक…!
उड़ते-उड़ते ,
मिल जाए ,
इसको कोई ,
शिकारी नेक…!
मन में अपना ,
जाल बिछा कर,
कर ले ,
इसको कब्जे में…!
मेरे मन के पंछी को ,
रख ले इसके ,
पंख कुतरकर
अपने मन के पिंजरे में…!
चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव( छत्तीसगढ)