मन और रिश्ते(दोहा ग़ज़ल)
देख दिलों में दूरियाँ, मन है बड़ा उदास ।
रिश्तों में भी खो रहा, मन अपना विश्वास ।।
भावहीन संवाद तो, लगें दिखावा मात्र ।
आँखों से छिपते नहीं,हैं मन के अहसास ।।
होती रहनी चाहिए, थोड़ी सी तकरार ।
सम्बन्धों में पर रहे, मीठी वही मिठास ।।
यूँ तो जीवन मे मिलें, हमें हज़ारों लोग ।
दिल में पर बसते वही, जो हो जाते खास ।।
रिश्तों में सबसे बड़ा,यहाँ उसे ही मान।
बुरे वक्त में ‘अर्चना’, खड़ा रहे जो पास ।।
16-06-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद