मन्दिर औ मस्जिद दिखा देते हैं वो
काम सब सम्भव बना देते हैं वो
रेत में गुलशन खिला देते हैं वो
एक मुद्दे को दबाने के लिए
इक नया मुद्दा बना देते हैं वो
लूटते सब मुल्क़ मिलकर के मगर
हमको आपस में लड़ा देते हैं वो
बेगुनाही की गवाही के लिए
कब्र के मुर्दे जगा देते हैं वो
दूध की नदियों के सुंदर मुल्क में
खून की नदियाँ बहा देते हैं वो
वक़्त आते ही चुनावों का यहाँ
वोट इन्सां को बना देते हैं वो
एक होने की जब आती है खबर
जाति का नश्तर चला देते हैं वो
हम तो पैदा आदमी ही थे हुए
हिन्दू औ मुस्लिम बना देते हैं वो
माँग रोजी और रोटी की करो
मन्दिर औ मस्जिद दिखा देते हैं वो