मनोरम सावन है आया
रिमझिम गिरे बारिश सावन है आया,
खुश हैं सभी जन माह पावन है आया,
होती भोलेनाथ की, सावन सोमवार को पूजा,
कष्ट हरते सदा भक्तों की, भोले सा ना कोई दूजा
मेहंदी से भरे हाथों की नजाकत है यह सावन
बहन की हिफाज़त की हिदायत है यह सावन
हो ना कहीं बुराई व्याप्त, सबका मन निश्चल दर्पण हो,
लोभ,मोह,से मुक्ति मिले,जीवन सारा तुम पर अर्पण हो,
आज फिर से दिल करता है इस धीमे धीमे पानी में,
छतरी लेकर भी आधे आधे भींगे हम सावन के पानी में,
याद आते हैं बेहद मेरे वह बचपन वाले सावन की पानी,
याद आते हैं वो कागज की कश्ती,अच्छी नहीं लगती जवानी
आज फिर से मेरी यह तमन्ना है चलो बचपन घूम आते हैं,
सावन की इस फुहार के बीच हम फिर से कागज की कश्तियां बनाते हैं,
अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी”
जिला-अनूपपुर मध्यप्रदेश