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6 Aug 2022 · 1 min read

मनुष्यस्य शरीर: तथा परमात्माप्राप्ति:

भगवतः श्वासेन वेदः प्रकट: भवति स्म-‘यस्य निश्वसितं वेदा:’।यदा श्वासस्य इयत् प्रभावः तु वाण्या: कियत् प्रभाव: भविष्यति।मनुष्यशरीर: केवलं परमात्माप्राप्तयाः कृते प्राप्त: भवति।नैव सांसारिक: कार्यानां(ण) कृते।परमात्माप्राप्तया: अवसरः मनुष्यशरीरैव।मनुष्यशरीरापि सत्संगस्य अवसरः दुर्लभ:।यथा मनुष्यशरीर: पुनः-पुनः न मिलति।एतादृशः सत्संगापि पुनः-पुनः न मिलति।एषः भगवतः विशेष: कृपया एव प्राप्त: भवति।ईश्वरं स्वं प्रति आकर्षयति।

©®अभिषेक:पाराशर

Language: Sanskrit
310 Views

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