” मनहूस “
कड़कती दिसम्बर की रात घना कोहरा तभी अनीष का फोन बज उठा कंप्यूटर से ऊँगलियाँ रोक फोन उठा कर कान से लगाया और बोला क्या ? कहाँ ? मैं अभी आया कह उसने अपनी पत्नी को आवाज़ लगाई अनीताsss रसोई से बाहर आती अनीता बोली क्या है ? अरे भईया का ऐक्सीडेंट हो गया है मैं भाभी को लेकर जा रहा हूँ तुम मम्मी – पापा को कुछ मत बताना….वहाँ जाकर पहले देख लें तब उनको बतायेगें । दोनो जन चले गये थोड़ी देर में अनीष का फोन आया घबराने की बात नही है कोहर की वजह से ठीक से दिखाई ना देने के कारण खड़ी ट्रक के पीछे कार घुस गई थी लेकिन स्पीड धीरे होने के कारण भईया और दोनों दोस्तों को हल्की खरोंच भर आई है अब तुम मम्मी – पापा को बता दो । अनीता ने हिम्मत करके उन लोगों को एक्सीडेंट की बात बताई बेटे के एक्सीडेंट की बात सुन कर पहले तो दोनों लोग घबड़ाये पर जब ये सुना की सब ठीक है तो चैन आते ही मुँह से जहर उगलने लगे ” ना जाने किस मनहूस का पैर पड़ा है हमारे घर में जो ये आफत देखने को मिल रही है ” अनीता उनका इशारा समझ रही थी अभी दो महीने ही तो हुये थे उसके विवाह को , उनकी बातें सुन कर सोचने लगी कैसे दिवाली पर ताश खेलते वक्त पापा कहते थे ” अरे ये तो मेरी भाग्यशाली बेटी है मेरे पास बैठे और मैं जीतू ना ऐसा हो ही नही सकता ” उसने धीरे से कहा मम्मी जैसे अनीष ने बताया की दोनों गाड़ीयों को देख कर पुलिस कह रही थी की इसमें जो भी बैठा होगा बहुत ही बुरी तरह से घायल होगा , आप सोचिये हो सकता हो उस मनहूस की वजह से बहुत बड़ा एक्सीडेंट होने से बच गया दोनों लोगों के मुँह से अब ज़बान गायब थी ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 25/09/2020 )