मनहरण घनाक्षरी
जन्नत ये जिन्दगी है
मोहब्बत बंदगी है
प्यार में रवानगी है
आप जब से मिले।
फूल दामन में दिए
कांटे ख़ुद झेल लिए
बाग़ तूने पैदा किए
फूल प्यार के खिले।
सागर-सा प्यार तेरा
तू ही है शृंगार मेरा
बहारों ने मुझे घेरा
ख़ुशी के सिलसिले।
जीना नहीं बिन तेरे
कटे नहीं पल मेरे
प्यारे हैं सांझ सवेरे
न शिकवे न गिले।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना