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11 Feb 2018 · 1 min read

मनहरण घनाक्षरी

शब्द और भाव लिए,साहित्य सुगंध लिए
सृष्टि का सृजन कर,सपने सजायेंगे।
ख्वाबों का उड़ान भर,कल्पना सृजित कर
साहित्य समन्दर में,लहरें जगायेंगे।
साहित्य समाजवाद,करें न कभी विवाद,
सभी को साहित्यमय,भाव से बतायेंगे।
हिन्दी का विकास होगा,समग्र आभास होगा
हिन्दी भाषी क्षेत्र सब,नाम से बनायेंगे।॥१॥

शब्द मोती चुनकर,भाव भरे बदलों में,
बारिश के बुन्द रुप, सभी को दिखायेंगे।
रहेगे आनंद सब, ख्वाबों के उड़ान में,
धरती-आकाश सब,दुरियां मिटायेंगे।
स्वच्छंदता रुप लिए,स्वतंत्रता सीख लिए,
करे सब विचरण, सबको मिलायेंगे
यही दिल आस लिए,जिगर में प्यास लिए,
सही राह चलने को, उनको सिखायेंगे।,॥२॥

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