मनहरण घनाक्षरी
🙏
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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मनहरण घनाक्षरी
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कात्यायिनी माता तेरौ रूप है अनूप मात,
ऋषि कात्यायन की तू सुता बनि आई है ।
चंद्रहास खड्ग धार कर में कमल फूल,
दाता धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की बताई है ।।
रोग, शोक ,भय, ताप, पापन कूँ नष्ट करै,
रक्षक है ताकी जो भी देबत दुहाई है ।
लाज रखियो री मात ! नेह की नजर कर ,
जगमग ज्योति तेरी ‘ज्योति’ ने जराई है ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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